harekrishna
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Location | Delhi -- Gwalior, Hidustan, India |
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Introduction | बुलाती है मगर जाने का नईं,ये दुनिया है इधर जाने का नईं। मेरे बेटे किसी से इश्क कर,मगर हद से गुजर जाने का नईं। सितारे नोंच कर ले आऊंगा,मै खाली हाथ घर जाने का नईं। वो गर्दन नापता है..नाप ले, मगर ज़ालिम से डर जाने का नईं। कुछ यही फ़लसफा है अपनी जिंदगी का। पीजीवी कालेज से बीएससी किया। पत्रकार बनने के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय में एमजेएमसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन) में प्रवेश ले लिया। इससे पहले पत्रकारिता के बारे में कुछ नहीं मालूम था। भगत सिंह से जुड़ी कुछ किताबें जरूर पढ़ रखी थीं। क्रांति का भूत सा सवार था और क्रांति का ठीक से मतलब भी नहीं समझता था। सोचा आंदोलनकारी ही बना जाए। सो विश्वविद्यालय जाना कम कर कुछ जनआंदोलनकारियों का साथ पकड़ा। दिल्ली, भोपाल इंदौर और ग्वालियर के बीच आंदोलन कारियों के साथ भटका। जुलाई 2009 में एमजेएमसी के आखिरी सेमेस्टर की परीक्षा देने के बाद जनसत्ता (दिल्ली) में इंनटर्नशिप की। जनसत्ता में जुलाई से नवंबर तक रहा। नौकरी के लिए दिल्ली के सारे बड़े-बड़े अखबारों के दफ्तरों के चक्कर लगाए किसी ने सीधे मना कर दिया किसी ने आश्वासन दिया। सो ग्वालियर लौट आया.फिलहाल ग्वालियर दैनिक भास्कर में रिपोर्टर के रूप में कार्यरत हूं। |