Subhash Ujjwal
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Gender | Male |
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Industry | Government |
Occupation | Mentor |
Location | Indian Nuke Test Site.., Rajasthan, India |
Introduction | सदियों से अपनी कलम से शब्दों को दिलों तक उतारने वालों का वंशज और माँ सरस्वती के पुत्र कहलाने वाले कुल का होने के नाते अपने आसपास मौजूद किरदारों और माहौल मै घटित ,व्याप्त घटनाओं और परिदृश्य को शब्दों मैं उकेरना मेरी रगों मै व्याप्त हैं ...कलमकारों कि पीढियों का में वर्तमान हूँ जिसे अंतर्जाल के मायावी युग में जन्म लेने का सु अवसर मिला हैं तो मै इसे बखूबी इस्तेमाल करता हूँ ..किसी घटना का त्वरित जवाब नहीं देना पर मुनासिब और उचित वक़्त पर हर हाल में जवाब देना और प्रतिक्रिया देना मैंने माँ प्रकृति से सीखा हैं ..ये ही मेरी कलम कि ताकत हैं ..और माँ भारती के सृंगार और उसके वैभव से खेलने वालो को, शक्ति ,सामर्थ्य ,सता और सम्पति विहीन करना मेरा व्यक्तिगत और रास्ट्र धरम हैं ,और मै मरते दम तक उस पर ..कायम रहूँगा ...हम पुरखों कि ग़लतियाँ और भविष्य कि बातें बहुत करते हैं ..पर मेरे देश को वर्तमान मै एक समग्र क्रन्ति कि जरुरत हैं ताकि आम आदमी अपनी उस आज़ादी को हासिल कर सके जो अंग्रेजों ने आधी रातको तब बाँटनी शुरू कि थी जब इस देश ८०% लोग दिन भर कि थकान से चूर गहरी नीद मै थे और उनके हिस्से कि आज़ादी आज तक उनको नहीं मिली बस वो उन्हें मिल जाये एक इतना सा सपना हैं मेरा.. . |
Interests | वन्यजीव जंतुओं का सानिध्य बहुत पसंद हैं और मैं उनके सुरक्षा और संरक्षण के प्रयास यंहा Desert National Park मैं करता हू . .मेरे आस पास रहने वाले लोगों को उनके अधिकारों और भ्रस्ट भारत वासियों के खिलाफ .. एक आन्दोलन जिसमे इन लोगों को सत्ता, सम्पति, सामर्थ्य, और शक्ति विहीन करना शामिल हैं में इन दिनों जी जान से लगा हूँ .. ...डॉक्युमेंटरी फिल्म द्वारा इन मसलों को उठाना मेरे शौक में शामिल हैं .......और वो अन्य सब गतिविधियाँ जो इस देश की दशा और दिशा को सुधार सके .......भी ... |
Favorite Movies | ....फिल्मों का में दीवान नहीं हू सार्थक फिल्में जो कुछ सोचने पर मजबूर कर दे वो ही देख ता हू. . तिरंगा, पुकार, क्रांति, पूर्व और पश्चिम, ...........और इसी तरह की कुछ ..और.. |
Favorite Music | भारतीय उपमहाद्वीप का संगीत ...मुझे बेहद पसंद हैं .. .खास तौर से मुझे कव्वालियाँ और सूफियाना कलाम बहुत पसंद हैं ....रात के गहन अंधेरों और उनमे व्याप्त चिर शांत और पुर सुकून लम्हों में घंटों ऑंखें मूँद कर सूफियाना कलाम में डूब कर उस असीम, अनंत को अपने आस पास महसूश करता हु.. ... उस्ताद नुसरत फतह अलीखान साहब "मरहूम"के गाये हर गीत, ग़ज़ल और हमद जो कुछ भी उन्होंने संगीत सुधी लोगों के लिए गाया हैं वो सब मैं बेहद सिद्दत से सुनता हूँ .. अन्य कव्वालों मैं उस्ताद फरीद अयाज़, साबरी बन्धु और अज़ीज़ मियां और उनका गाने का अंदाज़ भी बहुत पसंद करता हू ..... उस्ताद पठानी खान की गायकी से बहुत प्रभावित हू... ..The Dhol Foundation, zunoon or over load bands भी मुझे बहुत पसंद हैं ...भारतीय उपमहाद्वीप के जरे जरे में लोक संगीत बसा हैं ऐसे कई कलाकारों से मिला हू और उनके गाये गीतों और उनकी शैली से बहुत मुतासिर हूँ .और बेहद पसंद करता हूँ ....... और में चाहता हू की हम इन तमाम कलाकारों को खोजे और उन्हें सुने .......जो बेहद सुकून भरा हैं .. .संगीत से बड़ी कोई साधना नहीं हैं जो एक दो मिनट्स मै ही उस परम सता के द्वार तक लेजाये...... मेरे लिए संगीत रूह की रजा हैं जिसे में हमेशा पूरी करता हू ..और जितनी पूरी करताहूँ उतनी ही बढ़ती जाती हैं.. |