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Tulika Sharma
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GenderFemale
Introduction"कई लोगों को ईश्वर कहीं रखकर भूल जाता है, पर मैं खुद ही अपने आप को कहीं रखकर भूल गयी हूँ ...अब मैं ये भी नहीं जानती कि मैं कहाँ हूँ ...कोई है जो मेरा अपना आप खोजकर मुझे दे जाए " अमृता प्रीतम इन पंक्तियों में मेरा जीवन कह गयी हैं ...अब मैं हर पल खुद को ढूंढ रही हूँ ...गढ़ रही हूँ अपने मन को प्रिज्म सा .....कि जब भी पहुंचूं सूरज की किरणों तक ...तो सारा प्रकाश परावर्तित हो सके ...सात रंगों में .
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