सौभाग्यवती सीमांतिनी

About me

Location India
Introduction .रंगमंच मे स्त्रियो की भूमिका अदा करते करते मेरे हाव भाव स्त्रियॉं जैसे ही होने लगे थे। सौन्दर्य प्रसाधनों का चस्का लग गया था। मेरे लंबे केश कमर तक छूने लगे थे। रंग रोगन ने मेरी देह को नारीत्व से भर दिया।आवाज़ मे महिलाओं की खनकती आवाज़ मुझे नारीत्व से भर रही थी। चेहरे मे न कभी मूंछ और न ही दाढ़ी के बाल तक आए।तब तो मैंने पच्चीसवी वर्षी मे ब्यूटी पार्लर जाकर अपना पहला स्त्रियो का वेश अपना लिया. से महिला बनी माडल हूँ .।तृतीय लिंग की व्यक्तियों के लिए उनकी उन्नति ,शिक्षा और पुनर्वास के लिए क्रियाशील हूँ।उन्हे एक सुसंस्कृत युवतियों मे तब्दील करना चाहती हूँ.सीमांत से अब मेरी सही पहचान सीमांतिनी के नाम से हो गई है.लिंग अंगूठे के साइज का था।अंडकोश थे ही नही।आवाज़ बहुत पतली थी।छाती मे स्तन उभर गये थे। लिंग के नीचे गहरा छेद था, लड़कियों की तरह बैठकर पेशाब करना पड़ता था।एक बार मेरे मालिक ने मुझे पेशाब करते हुये मेरा यौनांग देख लिया।उसी रात ब्यूटी पार्लर और ज्वेलर को बुलाकर मुझे सोलह सिंगार कर पूरी दुल्हन बना दिया।मुझसे शादी रचा ली।
Favorite Books ।लज्जा