वृजेश सिंह
My blogs
Gender | Male |
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Industry | Communications or Media |
Occupation | पत्रकारिता |
Location | नई दिल्ली, India |
Introduction | एक ऐसा इंसान जो अपने आसपास की दुनिया को देखकर हैरान होता है. ज़िंदगी की किताब के पन्नों को तफ्शील से पढ़ता है. अपने विचारों को लोगों के साथ साझा करता है. उनको सुनता है. पूर्वाग्रहों को किनारे रखकर किसी घटना को देखने की कोशिश करता है.चीज़ों को अलग-अलग करके देखने के साथ ही उनके बीच छुपे अंतर्संबंधों को तलाशने का प्रयास करता है. प्रकृति के प्रति अनुराग रखता है. किसी भी बात को सहज करके समझने और समझाने में यकीन रखता है. बहती हवा के साथ सूखे पत्ते सा उड़ने का मजा लेता है और विपरीत परिस्थिति में भी रास्ता तलाशने का हौसला रखता है. |
Interests | लिखना,पढ़ना,घूमना और दोस्तों के साथ बातें करना पसंद है. पुराने लोगों को याद करना. नए लोगों से मिलना और उनसे उनकी रुचियों के बारे में बात करना अच्छा लगता है.व्यंग्य के माध्यम से मन की बातों को शब्द देने में आनंद आता है. |
Favorite movies | अब मेरी फिल्मों की लिस्ट में बहुत सारी फ़िल्में शामिल हैं. एक दौर था जब सिर्फ किताबों और वास्तविक जीवन के बीच रहना ज्यादा अच्छा लगता था. लेकिन वक्त के साथ इस दुनिया के प्रति मैंने खुद को बहुत सहज किया. मेरी पसंदीदा फिल्मों में कोरा कागज़, बंदिनी, मेरा नाम जोकर, तुम बिन, रैन कोट, खामोश पानी, दोस्ती, तुम बिन, इन टू दी वाइल्ड और बहुत सारी फ़िल्में शामिल हैं. |
Favorite music | हर तरह का संगीत सुनता हूँ. कुछ अपनी मर्जी से और बाकी लोगों की मर्जी से जैसे बस या जीप में सफ़र करते हुए. लेकिन जैसी जिंदगी की रफ्तार हो उसी के अनुरूप संगीत सुनना ज्यादा रुचता है. पुराने गाने आज भी अच्छे लगते हैं. जो लुफ्त ग़जलों में आता है और कहाँ मिलेगा ? सूफ़ियाना गाने सुनना भी पसंद है. जीवन की तरह संगीत में भी विविधता के प्रति एक सम्मान का भाव मेरी जिंदगी में शामिल है. |
Favorite books | किताबों का साथ तो इतना अच्छा लगता है कि मेरे दोस्त मुझे "किताबी कीड़ा" कहकर बुलाते हैं. बहुत सारी किताबें पढ़ी है. इश्मत चुगतई जी की "कागजी है पैराहन ", मोहन राकेश की " आधे -अधूरे",दास्तोवस्की की "अपराध और दण्ड" के अलावा बहुत सारे नाम हैं. |