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Location | India |
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Introduction | भागमभाग इस जिंदगी की दौड़ धूप में हमने देश के बचपन को कहीं भुला दिया है। जिस तरह देश में जल, बाघ, संस्कृति और कन्या बचाने की मुहीम चली है, ठीक वैसे ही बचपन के प्रति गंभीर होने की आज जरूरत है। बात चाहे बिगड़ते, अपराधी होते बचपन या फास्ट फूड एवं गरीबी से बीमार होते बचपन या श्रम व शरीर से शोषित होते बचपन की या गर्भ में दफन भू्रण की। जिस बचपन से हमें हंसी, शरारत, जिदना, रूठना जैसी पहचान की अपेक्षा रहती है, वही बचपन अब भटकने लगा है। अतिगंभीर समस्या है कि बच्चों के साथ अपराध होता है, लेकिन यह भी कम नहीं कि बच्चे अपराधी बनते जा रहे हैं। इसके लिए कहीं न कहीं हम, हमारा समाज, परिवार, स्कूल का अविवेकपूर्ण वातावरण, टीवी, सिनेमा आदि सब दोषी हैं। आपको नहीं लगता कि हमें 'हिंदुस्तानी बचपन' के लिए कुछ करना चाहिए, कथित समाज सेवा से ऊपर उठना चाहिए? वाकई में जगने और जगाने की आवश्यकता है, हमारे आसपास भटकते, बर्बाद होते और शोषित होते बचपन पर ध्यान देने की जरूरत है। उम्मीद है हम सब मिलकर 'हिंदुस्तानी बचपन' को बचाने में अपना योगदान देंगे तथा देश के भविष्य के प्रति गंभीर होंगे। इसी आशा के साथ आपका अपना ... 'हिंदुस्तानी बचपन'। vinod.bishnoi786@gmail.com |