ताऊ रामपुरिया

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About me

Gender Male
Industry Business Services
Location Indore/Mumbai, India
Introduction अब अपने बारे में क्या कहूँ ? मूल रुप से हरियाणा का रहने वाला हूँ ! लेखन मेरा पेशा नही है ! थोडा बहुत गाँव की भाषा में सोच लेता हूँ , कुछ पुरानी और वर्तमान घटनाओं को अपने आतंरिक सोच की भाषा हरयाणवी में लिखने की कोशीश करता हूँ ! वैसे जिंदगी को हल्के फुल्के अंदाज मे लेने वालों से अच्छी पटती है | गम तो यो ही बहुत हैं | हंसो और हंसाओं , यही अपना ध्येय वाक्य है | हमारे यहाँ एक पान की दूकान पर तख्ती टंगी है , जिसे हम रोज देखते हैं ! उस पर लिखा है : कृपया यहाँ ज्ञान ना बांटे , यहाँ सभी ज्ञानी हैं ! बस इसे पढ़ कर हमें अपनी औकात याद आ जाती है ! और हम अपने पायजामे में ही रहते हैं ! एवं किसी को भी हमारा अमूल्य ज्ञान प्रदान नही करते हैं ! ब्लागिंग का मेरा उद्देश्य चंद उन जिंदा दिल लोगों से संवाद का एक तरीका है जिनकी याद मात्र से रोम रोम खुशी से भर जाता है ! और ऐसे लोगो की उपस्थिति मुझे ऐसी लगती है जैसे ईश्वर ही मेरे पास चल कर आ गया हो ! आप यहाँ आए , मेरे बारे में जानकारी ली ! इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ !
Interests अपना प्रथम शौक है शरीफो और नेक लोगो को बिगाडना ! क्योंकी हम खुद पैदाइशी बिगडे हुये हैं और हमारे मास्साब और वालदेन भी हमको सुधारते सुधारते खुद सुधर चुके हैं ! और अब हमारे सुधरने की कोई उम्मीद नही बची है ! इस लिये अपनी जात बिरादरी मे बढोतरी के लिये इसको अपना मुख्य शौक बना लिया है ! और अगर आप इस गलत फहमी मे हो कि शरीफ बनने मे कुछ फायदा है तो आपको बडी गलत सलत सलाह दी गई है ! अपनी गलती सुधारे और अगर कुछ अडचन आ रही हो तो हमारी सलाह ले सकते हैं ! दुसरा शौक है-- जिन्दगी को हलके फुलके लेना | आजादी पूर्व के डाक टिकट संग्रह का पुराना शौक | अपने जीवन के आस पास की घटनाओं का चित्रण करना |और मजे में रहना ! अपने जैसा कोई मिल गया तो ठीक नही तो अकेले रहने में भी मस्ती रहती है ! फोकट टेंसन लेने में विश्वास नही है !
Favorite Movies अपनी जिंदगी की मूवी ही पसंद नही आयी तो दुसरे की क्या आयेगी ? अगर पसंद ही बताना जरुरी हो तो अब तक की पसंद मेरी अपनी गुजरी जिंदगी की मूवी ही है ! इसमे एक सफल फिल्म के सारे दृश्यों को मैने देखा है ! इससे बडी फिल्म कोइ बना भी नही सकता ! क्योंकी ये फिल्म सीधी उपर वाले की निर्देशित की हुयी है ! आपको देखना हो तो बंदे को याद कर लेना ! इस फिल्म को देखने के लिये एक सॉफ्टवेयर और DVD-PLAYER की जरुरत लगती है ! आपके पास हो तो ठीक है वर्ना आपके आग्रह पर हम यह निशुल्क उबलब्ध करवा देंगे ! इस फिल्म मे कोइ भी सीन रिपीट नही होता बल्कि एकता कपूर स्टाईल मे चलती ही रहती है ! अब भला इसके सामने ढाई घंटे की फिल्म क्या लगेगी ?
Favorite Music सब तरह का पसंद है | सरसरी तौर पर सूफी संगीत और हरयानवी लोक संगीत खास पसंद है | पर कभी कभी ना जाने क्या हो जाता है कि एक पता पेड से गिरने मे जो सरसराहट सुनाई देती है उसमे भी अपार संगीत सुनाई दे जाता है !
Favorite Books एक नही बल्कि अनेक हैं | अधिकतर लेखक दिवंगत हो चुके हैं सो किसी एक दो का नाम लेकर उनकी आत्माओं से दुश्मनी लेने से अपने मास्साब और वालदेन ने मना किया है | वैसे तो हमने इनकी किसी भी सलाह को ना मानने की कसम खा रखी है, पर ये मानने मे कुछ हर्ज नही है क्यूंकि ऊपर कहीं स्वर्ग या नरक मे टकरा गयी तो खाम्खाह झंझंट हो जायेगी |