पोटली वाला बाबा

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Location एक सुनसान टापू, धरती का छोर
Introduction गुलज़ार साहब ने जब पोटली वाला बाबा लिखा था| कुछ उसी समय बनारस की तंग गलियो में गालियाँ देते बाबा का जन्म हुआ था| बचपन से ही बकर करने में प्रखर बाबा मुहल्ले के स्वाभाविक नेता बन के उभरे| वो तो कम्बख़त किस्मत ने इंजिनियरिंग करवा डाली और आज बकर करने के लिए नया माध्यम खोजना पड़ गया| सारे दोस्त काम-काज कर रहे हें| और बाबा आज भी बकर फैला रहे हें| आशा है प्रयास पसंद आएगा|