उजले दिन जरुर आयेंगे

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Gender Male
Industry Communications or Media
Location Gurugram, Haryana, India
Introduction आयेंगे, उजले दिन ज़रूर आयेंगे आतंक सरीखी बिछी हुई हर ओर बर्फ है हवा कठिन, हड्डी-हड्डी को ठिठृराती आकाश उगलता अंधकार, फिर एक बार संशय विदीर्ण आत्मा राम की अकुलाती, होगा वह समर अभी होगा कुछ और बार, तब कहीं मेघ ये छिन्न-भिन्न हो पायेंगे तहखानों से निकले मोटे-मोटे चूहे, जो लाशों की बदबू फैलाते घूम रहे हैं कुतर रहे पुरखों की सारी तस्वीरें, चीं-चीं-चिक-चिक की धूम मचाते घूम रहे पर डरो नहीं, चूहे आखिर चूहे ही हैं जीवन की महिमा नष्ट नहीं कर पायेंगे, यह रक्तपात यह मारकाट जो मची हुई लोगों के दिल भरमा देने का ज़रिया है, जो अड़ा हुआ है हमें डराता रस्ते पर, लपटें लेता घनघोर आग का दरिया है, सूखे चेहरे बच्चों के उनकी तरल हंसी हम याद रखेंगे, पार उसे कर जायेंगे मै.... नहीं तसल्ली झूट-मूट की देता हूं, हर सपने के पीछे सच्चाई होती है, हर दौर कभी तो खत्म हुआ ही करता है, हर कठिनाई कुछ राह दिखा ही देती है, आयें हैं जब चलकर इतने लाख वर्ष, इसके आगे भी चलकर ही जायेंगे आयेंगे, उजले दिन ज़रूर आयेंगे...
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