rajlakshmi

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Introduction अपने बारे में क्या कहूं, कहने लगूंगी, तो बातें खत्म ही नहीं होंगी। अगर थोड़े में कहूं तो मैं बहुत भावुक हूं। बेहद संवदेनशील किसी के जरा से भी दुख से दुखी हो जाती हूं, तो किसी की खुशी से उतनी ही जल्दी खुश भी हो जाती हूं। मन में ना जाने कितने सवाल उमड़ते रहते हैं हर समय जिनका जवाब चाहती हूं, लेकिन फिर सोचती हूं कि जवाब कौन देगा... आजकल तो हर कोई इतना बेपरवाह है कि उसे खुद की सुध नहीं तो फिर मेरे सवाल का क्या जवाब देगा। किसी की बात मुझे चुभती है, लेकिन अगर परवाह करने की बात आती है, तो हां मैं परवाह करती हूं, लेकिन सिर्फ उनकी जिन्हें मैं बेहद प्यार करती हूं। उनके लिए कुछ भी कर सकती हूं, लेकिन वैसे किसी की भी बात को सहन करने की मेरी आदत है ना सहना चाहती हूं कहने को तो बहुत कुछ लेकिन फिलहाल सिर्फ इतना ही... भावनाओं और विचारों से भरी नदी हूं मैं जिसमें प्रवाह है स्वच्छता है और है सबकुछ अपने में सहेज कर रख लेने की चाहत बस चाहती हूं मैं सिर्फ इतना कि अपनी तरह से अपनी बातें करूं मन में उमड़ते सवालों के जवाब तलाशूं सांझ होते ही जैसे चिडि़या लौट जाती है अपने घोंसले में उसी तरह से मैं भी सवालों और उलझनों से परे हटकर निर्मल मन से लौट जाउं अपने आशियाने में...