Rituparna Mudra Rakshasa
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Introduction | अपने बारे में: पिता प्रेम शर्मा कबीरपंथी गीतकार और पढ़ने-लिखने के बेहद शौक़ीन. घर के माहौल का असर ही था कि विज्ञान की छात्रा होने के बावजूद साहित्य-पठन-पाठन में अभिरुचि रही. प्रख्यात साहित्यकार मुद्राराक्षस जी के छोटे पुत्र रोमेल से प्रेम-विवाह के बाद साहित्य से रिश्ता गहरा हुआ. कई लेख और समीक्षा स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित. कविताएँ लिखना मेरे लिए नितांत निजी अनुभवों को दोबारा जीने सरीखा है. घर के रोज़मर्रा के काम करते हुए किन क्षणों में कविता ज़हन में उतरती है, चाहूँ भी तो रेखांकित नहीं कर सकती. स्त्री-मन की स्वाभाविक सी इच्छाओं, सपनों और चाहना से बुनी ये कविताएँ स्वयं को अभिव्यक्त करने का माध्यम भर हैं. |
Interests | "कविताएं-- ज़िन्दगी को वृहतर अर्थ देती हैं और उसे जीने का हौसला भी..!" |