बिरकाली
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Gender | Male |
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Location | नोहर, राजस्थान, India |
Introduction | आधुनिक कल में प्राकर्तिक काव्य लिखने की परम्परा कु.चन्दरसिंह बिरकाली से शुरू हुई! आपका जन्म सावन सुदी संवत १९६९ विक्रमी २७ अगस्त १९१२ में बिरकाली गाँव में हुआ ! आप "बादली" और 'लू' जैसी मौलिक रचना के साथ 'कहमुकुरनी','सीप','बाल्साद', ;साँझ',(काव्य) और 'दिलीप', 'कालजे री कौर', राजस्थानी निबंध संग्रह, 'मेघदूत', 'चित्रागादा', 'जफरनामो', 'रघुवंश'(अनुदित)रचनाएँ की !आपकी बंसत, डंफर, धोरा,और बाड़ अनछपी रचनाएँ है ! जुनी राजस्थानी साहित्य की रचना में प्रकर्ति काव्य की एक अच्छी परम्परा है लेकिन आधुनिक कल में इसकी शुरुआत कु.चन्दरसिंह की 'बादली' से शुरू हुई !बादली १९४१ में छपी इसमें १३० दोहे है ! इसके दोहे मरुभूमि की वरसाला ऋतु की प्राकतिक छठा का विवेचन करते है !कवि बरसात से पहले की स्थिति का वर्णन 'बादली' में किया है ! ऐसे ही १९५५ में छपी 'लू'में १०४ दोहे है !'लू' में लू का बनाव सृंगार जोग है !कवि राजस्थान के वासी है ! इसलिए उन्हें इस बात का ध्यान है ! कु.चन्दर सिंह मूल रूप से प्रकर्ति के चितेरे कवि है ! |