huda

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About me

Gender Male
Industry Non-Profit
Occupation doctor
Location bareilly, utter pradesh, India
Introduction अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है!
Interests अपने होने का हम इस तरह पता देते थे खाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे बेसमर जान के हम काट चुके हैं जिनको याद आते हैं के बेचारे हवा देते थे उसकी महफ़िल में वही सच था वो जो कुछ भी कहे हम भी गूंगों की तरह हाथ उठा देते थे अब मेरे हाल पे शर्मिंदा हुये हैं वो बुजुर्ग जो मुझे फूलने-फलने की दुआ देते थे अब से पहले के जो क़ातिल थे बहुत अच्छे थे कत्ल से पहले वो पानी तो पिला देते थे वो हमें कोसता रहता था जमाने भर में और हम अपना कोई शेर सुना देते थे घर की तामीर में हम बरसों रहे हैं पागल रोज दीवार उठाते थे, गिरा देते थे हम भी अब झूठ की पेशानी को बोसा देंगे तुम भी सच बोलने वालों के सज़ा देते थे
Favorite Movies last movie with her---
Favorite Music sufi kawwali(hind ka raja mere kjwaja)
Favorite Books किताबों से जो ज़ाती राब्ता था, कट गया है कभी सीने पर रखकर लेट जाते थे कभी गोदी में लेते थे कभी घुटनों को अपने रिहल की सूरत बनाकर नीम सजदे में पढ़ा करते थे, छूते थे जबीं से वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा बाद में भी मगर वो जो किताबों में मिला करते थे सूखे फूल और महके हुए रुक्के किताबें मँगाने, गिरने उठाने के बहाने रिश्ते बनते थे उनका क्या होगा वो शायद अब नही होंगे !!