देवकान्त पाण्डेय :
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Gender | Male |
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Industry | Government |
Occupation | Translation |
Location | Delhi,, ग्राम : देवकली देवलास, जिला: मऊ (19 November 1988 से पूर्व आजमगढ), उ. प्र. , India |
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Introduction | सहृदय हूँ और सहृदय होने के नाते नसों में नव रसों का संचार होना स्वाभाविक है । साधारणीकरण की स्थितियों में तुकबंदी कर लिया करता हूँ जिसे लोग कविता की संज्ञा दे दिया करते हैं। महुए की महक, खलिहानों से आती गुड की सुगंध,खेतों में फूली पीली-पीली सरसों,आमों के पेडों पर लहकते हुए बौर, गायों के गले में रुनझुन बजती घंटियाँ,बाग़ों में ओल्हा-पाती,लखनी एवं चिकई-कबड्डी खेलते बच्चे, होरहा, मटर की घुघुरी,गन्ने का रस,भौरी और चोखा तथा अपनी भोजपुरी भाषा की मिश्री सी मिठास, कजरी,फगुआ,चैता और सोहर का सरस राग- मन को बहुत भाते हैं। गाँव में शिक्षा की बदहाल स्थिति ने दिल्ली की महानगरीय संस्कृति से परिचय करवाया और इस संस्कृति में 2 दशक से कुछ अधिक का कालखंड पूरा करने के बाद अब अन्य महानगरीय प्राणियों की ही भांति मन में 'सभ्य' और 'एडवांस' हो जाने का "दंभ" विद्यमान है,यह बात और है कि कसौटी पर कसे जाने कि स्थितियों में'सभ्य'और 'एडवांस' होने का यह दंभ 'भ्रम' साबित होता है और इसकी कलई खुल कर सामने आ जाती है। दोष अपना नहीं,आखिर महानगर के 'सभ्य' नागरिक जो ठहरे..। राजभाषा से पेट पलता है..पर जो रोटी देती है उसे मैं बहुत नहीं दे पाता या यूं कह लें कि दे पाने की परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं। माइक और मंच जीवन की पसंदीदा शै हैं । इनकी कद्र ठीक-ठाक कर लेता हूं, ऐसा लोग कहते हैं । |
Interests | Reading Hindi novels, Listening to Music |
Favorite Movies | deewar(old), DDLJ, kaho na pyaar hai |
Favorite Music | gajal of jagjeet singh and ghulam ali. |
Favorite Books | Gunahon ka devta, aavara masiha |