सामाजिक Samasyayen

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Introduction इस छोटी सी जिन्दगी के,गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ, सबको अपना कह सकूँ,ऐसा ठिकाना चाहता हूँ, टूटे तारों को जोड़ कर,फिर आजमाना चाहता हूँ, बिछुड़े जनों से स्नेह का,मंदिर बनाना चाहता हूँ. हर अन्धेरे घर मे फिर,दीपक जलाना चाहता हूँ, खुला आकाश मे हो घर मेरा,नही आशियाना चाहता हूँ, जो कुछ दिया खुदा ने,दूना लौटाना चाहता हूँ,