अतुल
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Gender | Male |
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Location | panna, bundelkhand, India |
Introduction | जन गण मन रण है जख्मी है भारत का भाग्य विधाता.... पंजाब सिंध गुजरात मराठा, एक दूसरे से लड कर मर रहे हैं.. इस देश ने हमको एक किया और हम देश के टुकडे कर रहे हैं.. द्रविड उत्कल बंगा—खून बहाकर एक रंग कर दिया हमने तिरंगा.. सरहदों पर जंग और गलियों में फसाद रंगा.. विंध्य हिमाचल गंगा यमुना में तेजाब उबल रहा है मर गया सबका सबेरा जाने कब जिंदा हो आगे... फिर भी तब शुभ नाभे जागे तब शुभ आशीष मांगे... आग में जलकर चीख रहा है... फिर भीक कोई नहंी बचाता.... गावे तब जयगाथा देश का ऎसा हाल है... फिर भी आपस में लड रहे नेता जण गण मंगल दायक जय हे भारत को बचा ले विधाता... जय है या फिर मरण है जन गण मन रण है...अतुल मै पत्रकारिता के मैदान में विगत दस वर्षों से कार्यरत हूँ मेरा एक मात्र उद्देश्य जन गन मन की सेवा करना है. मै देश को विस्वविजेता के रूप मै देखना चाहता हूँ. मेरा धरम भारत. मेरा करम भारत. |