आवारा - যাযাবর - آطارا - Vagabond

My blogs

About me

Occupation दो रोटी और दो बोटी के लिये कुछ भी
Location कभी यहां कभी वहां सारा जहां हमारा, सारे जहां से अच्छा, India
Introduction मैं आढे तिर्छे खयाल सोचूं .... के बे-इरादा किताब लिखूं.... कोइ शनासा गजल तराशूं .... के अजनबी इन्तेसाब लिखूं.... गंवा दूं इक उम्र के जमाने .... के इक पल का हिसाब लिखूं.... मेरी तबियत पर मुन्हासिर है .... मैं जिस तरह का निसाब लिखूं.... यह मेरे अपने मिजाज पर है .... अजाब सोचूं, सवाब लिखूं.... तावील तर है सफर, तुम्हें क्या .... मैं जी रहा हूं मगर तुम्हें क्या? मगर तुम्हें क्या, के तुम तो कब से .... मेरे इरादे गंवा चुके हो.... जला के सारे हरूफ अपने .... मेरी दुआएं बुझा चुके हो.... मैं रात ओढूं के सुबह पहनूं .... तुम अपनी रस्में उठा चुके हो.... सुना है सब कुछ भुला चुके हो.... तो अब मेरे दिल पे यह जबर कैसा ? यह दिल तो हद से गुजर चुका है.... गुजर चुका है मगर तुम्हें क्या? खिजां का मौसम ठहर चुका है.... ठहर चुका है मगर तुम्हें क्या? मगर तुम्हें क्या के इस खिजां में मैं जिस तरह के भी ख्वाब लिखूं..
Interests इक ऐश्वर्या थी दीवानि सी, इक शाह्ह्रुख पर वो मरती थी .... नझरें झुका के शर्मा के ह्रितिक की गली से गुजरती थी ..... चोरी चोरी सलमान को चिठ्ठियां लिखा करती थी ..... कुछ कहना था शायद विवेक से जाने किस से डरती थी ..... जब भी मिलती थी अभिषेक से हमेशा पूछा करती थी ..... ये विश्व कैसा लडका है ये, विश्व कैसा लडका है
Favorite Movies जिसमें जमाने कि गर्द हो .... जिसमें इन्सानियत का दर्द हो .... मोहब्बत की गर्मी हो .... मासूमियत की नर्मी हो .... चांदनी रातें हों .... तारों तले बातें हों .... थोडे से पर्बत हों .... थोडा समन्दर हो .... जज्बा हो जीने का .... जामे हुस्न पीने का .... बहार हो या खिजां .... शनासा का साथ हो .... ऐसा कोइ किस्सा सुनाओ तो सुनें, वरना जमाने के झगडों में क्या रखा है

Where do you go from here?