Himanshu Srivastava

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Location Delhi, Delhi, India
Introduction मैं खुद ही दर के बाहर था मैं खुद ही घर के अंदर भी खुद से शायद रूठा था खुद ही मुझे मनाता था ना घर से ही मैं दूर हुआ ना घर मे वापिस जाता था मैं खुद ही दर के बाहर था मैं खुद ही घर के अंदर भी ना वो कदम उठा मुझसे ना ये कदम गवाही देता था घर के अंदर सोच मेरी मैं घर के बाहर बैठा था मुझ से आके सोच मिले या मैं ही उस का हाल सुनूँ अंदर जाना बेहतर है या बाहर की मैं राह चुनूँ मैं खुद ही मेरा साथी हूँ और कुल दुनिया पराई है मेरे पास काग़ज़ सी बातें हर लब पे दिया सलाई है अब आग में रहना सीखा है दिल रात रात भर चीखा है घर से बाहर घर के अंदर बस मेरी पर्छाई है जिस्म जला था यहाँ वहाँ अब रूह की बारी आई है घर के बाहर घर के अंदर अब यही फ़ैसला करना है दोनो जगह अधूरा सा मैं कहाँ पे मुझ को मारना है मैं खुद ही दर से बाहर हूँ मैं खुद ही घर के अंदर भी मेरे लिए नया सा है अब ऐसा भी अंदाज़ ना दो मैं खुद ही मुझे पुकारूँगा बस तुम मुझको आवाज़ ना दो